राजस्थान का एकीकरण इन हिंदी,राजस्थान का एकीकरण के चरण

राजस्थान में होने वाली सभी भर्तीयों में महत्वूर्ण स्थान रखने वाले राजस्थान के एकीकरण (राजस्थान का एकीकरण इन हिंदी,राजस्थान का एकीकरण के चरण) को हमने यहां पर विस्तार से भी मुख्य मुख्य बिंदुओं के साथ उपलब्ध करवाया हैं जो कि आपके आगे आने वाले एग्जाम RPSC RAS, RPSC 1st Grade, RPSC 2nd grade, RSMSSB में अति महत्पूर्ण साबित होगी।

राजस्थान के एकीकरण(राजस्थान का एकीकरण इन हिंदी,राजस्थान का एकीकरण के चरण) के महत्वपूर्ण चरणों के साथ साथ उनकी राजधानियों के बारे में भी बताया गया हैं।
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राजस्थान का एकीकरण इन हिंदी

राजस्थान का एकीकरण के चरण

राजस्थान का एकीकरण

  • आजादी के समय राजस्थान में 19 रियासतें, 3 ठिकाने व 1 केंद्र शासित प्रदेश था ।
  • 3 ठिकानों में लावा, कुशलगढ़, नीमराना व केंद्र शासित प्रदेश– अजमेर मेरवाड़ा  था ।
  • मेवाड़ महाराणा गोपाल सिंह ने राजपूताना मालवा तथा सौराष्ट्र की रियासतों को मिलाकर राजस्थान यूनियन बनाने का प्रयास किया।
  • इसके लिए उदयपुर में सम्मेलन का आयोजन किया गया।
  • 5 जुलाई 1947 ई को रियासती सचिवालय की स्थापना की गई।
  • रियायती सचिवालय के अध्यक्ष सरदार वल्लभभाई पटेल व सचिव बीपी मेनन थे।
  • रियासती सचिवालय की घोषणा के अनुसार–वे रियासतें जिनकी जनसंख्या 10 लाख से अधिक तथा आय एक करोड़ से अधिक हो, वें रियासतें आजाद रह सकती हैं।

राजस्थान में ऐसी चार रियासतें थी–

1. मेवाड़

2. जयपुर

3. जोधपुर

4. बीकानेर

18 जुलाई 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित हुआ।

इसकी धारा 8 के अनुसार देशी राज्यों से अंग्रेजी सर्वोच्चता  समाप्त कर दी गई।

 

1.प्रथम चरण:– मत्स्य संघ

नामकरण– के.एम. मुंशी

इसमें चार रियासतों को शामिल किया गया व एक ठिकाना  शामिल किया गया।

रियासतें–

1. धौलपुर

2. करौली

3. अलवर

4.  भरतपुर

  • ठिकाना– नीमराणा
  • प्रथम चरण की राज प्रमुख धौलपुर के उदयभान सिंह को व उपराज्य प्रमुख करौली के गणेशपाल को बनाया गया। इसकी राजधानी अलवर को बनाई गई।
  • मत्स्य संघ का उद्घाटन – 18 मार्च 1948
  • उद्घाटनकर्ता – एन. वी. गाडगिल
  • प्रधानमंत्री – शोभाराम कुमावत (अलवर)
  • उप प्रधानमंत्री – जुगल किशोर चतुर्वेदी (भरतपुर)
  • अलवर व भरतपुर रियासत  पर भारत सरकार ने पहले ही अधिकार कर लिया था।
  • उदय भान सिंह ने पहले गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया।

 

2. द्वितीय चरण:– राजस्थान संघ/पूर्व राजस्थान

द्वितीय चरण में 9 रियासतों व 1 ठिकाने को शामिल किया गया।

रियासतें – कोटा बूंदी झालावाड़ बांसवाड़ा डूंगरपुर प्रतापगढ़ टोंक किशनगढ़ शाहपुरा

  • ठिकाना –कुशलगढ़
  • द्वितीय चरण के राज प्रमुख कोटा के भीम सिंह व वरिष्ठ उपराज्य प्रमुख बूंदी के बहादुर सिंह तथा कनिष्ठ उपराज्य प्रमुख डूंगरपुर के लक्ष्मण सिंह को बनाया गया।
  • उद्घाटन – 25 मार्च 1948
  • उद्घाटनकर्ता –एन. वी. गाडगिल
  • राजधानी – कोटा
  • प्रधानमंत्री – गोकुल असावा (शाहपुरा)
  • किशनगढ़ व शाहपुरा  रियासतो ने अजमेर–मेरवाड़ा में विलय का विरोध किया था।
  • किशनगढ़ व शाहपुरा रियासतों को तोपों की सलामी का अधिकार नहीं था।
  • बांसवाड़ा के चंद्रवीर सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए कहां कि  “मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूं”।

 

3. तृतीय चरण:–संयुक्त राजस्थान

राजस्थान संघ + मेवाड़

उद्घाटन – 18 अप्रैल 1948 ( उदयपुर में)

  • उद्घाटनकर्ता – जवाहरलाल नेहरू
  • राज्य प्रमुख – महाराणा भूपाल सिंह (मेवाड़)
  • वरिष्ठ उपराज्य प्रमुख – भीम सिंह (कोटा)
  • कनिष्ठ उपराज्य प्रमुख – बहादुर सिंह (बूंदी) एवं लक्ष्मण सिंह (डूंगरपुर)
  •  प्रधानमंत्री – माणिक्य लाल वर्मा
  •  उप प्रधानमंत्री –गोकुल असावा
  •  राजधानी – उदयपुर

विधानसभा का प्रतिवर्ष एक अधिवेशन कोटा में आयोजित किया जाएगा।

मेवाड़ महाराज भोपाल सिंह ने 20 लख रुपए प्रिवीपर्स की मांग की–

20 लाख – 10 लाख औपचारिक प्रीविपर्स + 5 लाख राज्य प्रमुख का वेतन + 5 लाख धार्मिक अनुदान ।

राम मनोहर लोहिया ने राजस्थान आंदोलन समिति का गठन किया तथा शेष रियासतों के जल्दी विलय की मांग की।

 

4. चतुर्थ चरण :– वृहत राजस्थान

संयुक्त राजस्थान + 4 रियासते (जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर)

उद्घाटन – 30 मार्च 1949  (चैत्र शुक्ला एकम विक्रम संवत 2006 , जयपुर में )

उद्घाटन कर्ता –  सरदार वल्लभभाई पटेल

30 मार्च को राजस्थान दिवस मनाया जाता है।

  • महाराज प्रमुख –महाराणा भूपाल सिंह (मेवाड़)
  •   राज्य प्रमुख –सवाई मानसिंह सेकंड (जयपुर )
  •   वरिष्ठ उपराज्य प्रमुख –हनुमत सिंह (जोधपुर) + भीम सिंह (कोटा)
  •   कनिष्ठ उपराज्य प्रमुख – बहादुर सिंह (बूंदी) + लक्ष्मण सिंह (डूंगरपुर)
  •   प्रधानमंत्री – हीरालाल शास्त्री
  •   राजधानी – जयपुर
प्रिवीपर्स –
  • जयपुर –18 लाख
  • जोधपुर –17.5 लाख
  • बीकानेर –17 लाख
  • जैसलमेर –1 लाख 80 हजार

 

जयपुर तथा जोधपुर में राजधानी को लेकर विवाद हो गया इसके समाधान के लिए समिति का गठन किया गया।

समिति के सदस्य– बी.आर.पटेल, टी.सी.पुरी, एस.pi. सिन्हा

इस समिति की सिफारिश के आधार पर जयपुर को राजधानी बनाया गया तथा जोधपुर को हाई कोर्ट दिया गया।

Note– 19 जुलाई 1948 को लावा ठिकाना जयपुर में मिला दिया गया।

 

5. पांचवा चरण –संयुक्त वृहतर राजस्थान

मत्स्य संघ + वृहत राजस्थान

15 मई 1949 को शंकरराव देव समिति की सिफारिश के अनुसार मत्स्य संघ का विलय राजस्थान में कर दिया गया।

शोभाराम कुमावत को हीरालाल शास्त्री मंडल में शामिल कर लिया गया।

शंकरराव देव समिति के अन्य सदस्य –आर सिद्धवा, प्रभु दयाल

 

6. छठा चरण:–

आबू में  देलवाड़ा सहित 89 गांव मुंबई में मिलाए गए तथा शेष सिरोही राजस्थान में मिला दिया गया, इसमें गोकुल भाई भट्ट का गांव हाथल भी शामिल था।

इस अनुचित विलय पर पटेल का कहना था ” राजस्थान वालों को गोकुल भाई भट्ट चाहिए था वो हमने दे दिया”।

26 जनवरी 1950 को हमारे प्रदेश का नाम राजस्थान किया गया।

हीरालाल शास्त्री को राजस्थान का पहला मनोनीत मुख्यमंत्री बनाया गया।

राजस्थान में मनोनीत CM–
  1. हीरालाल शास्त्री ,
  2. सी. एस. वेंकटचारी(ICS)
  3. जय नारायण व्यास

 

7. सातवां चरण:–

राज्य पुनर्गठन के आयोग की सिफारिश के आधार पर–

1.आबू व दिलवाड़ा को राजस्थान में मिलाया गया।

2. अजमेर–मेरवाड़ा राजस्थान में मिलाया गया।

3.  एमपी का सुनेल टप्पा (झालावाड़) राजस्थान में मिलाया गया।

4.  राजस्थान का सिरोंज MP को दिया गया।

1 नवंबर 1956 को राजस्थान का एकीकरण पूर्ण हुआ।

इस समय राजस्थान के मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया थे।

 

आबू व देलवाड़ा को राजस्थान में मिलाने के लिए मुनि जिन विजय सूरी समिति बनाई गई।

इतिहास का दशरथ शर्मा भी इस समिति के सदस्य थे।

अजमेर–मेरवाड़ा पहले केंद्र शासित प्रदेश था।

यहां पर 30 सदस्यों की धारा सभा होती थी, हरिभाऊ उपाध्याय यहां के मुख्यमंत्री थे।

हरिभाऊ उपाध्याय दने अजमेर–मेरवाड़ा का राजस्थान में विलय का विरोध किया।

जयपुर व अजमेर में राजधानी को लेकर विवाद हो गया, इसके समाधान के लिए एक समिति का गठन किया गया।

समिति के सदस्य –सत्यनारायण राव, वी. विश्वनाथ, वी. के. गुप्ता।

इस समिति की सिफारिश के आधार पर जयपुर को राजधानी बनाया गया तथा अजमेर को राज्य विभाग दिया गया।

अजमेर को राजस्थान का 26वां जिला बनाया गया।

  • शिक्षा –विभाग बीकानेर
  • कृषि विभाग –भरतपुर
  • वन एवं सहकारी विभाग –कोटा
  • खनिज विभाग –उदयपुर

 

7में संविधान संशोधन 1956 के अनुसार राज्य प्रमुख का पद समाप्त कर दिया गया तथा राजस्थान के प्रथम राज्यपाल गुरमुख सिंह गुरुमुख निहाल सिंह को बनाया गया।

 

26वें संविधान संशोधन 1971 के द्वारा राजस्थान राजाओं के प्रिवीपर्स समाप्त कर दिए गये।

 

राज्य पुनर्गठन आयोग के सदस्य –

1.फजल अली (अध्यक्ष)

2.  के.एम. पनिक्कर (संविधान सभा में बीकानेर से सदस्य)

3.  हृदय नाथ पुंजरु

 

1 नवंबर 2000 को राजस्थान सर्वाधिक क्षेत्रफल वाला राज्य बन गया।

(MP तथा छत्तीसगढ़ के अलग होने से)

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error: भाई बहुत मेहनत लगी हैं यार